वांछित मन्त्र चुनें

सने॑म्य॒स्मद्यु॒योत॑ दि॒द्युं मा वो॑ दुर्म॒तिरि॒ह प्रण॑ङ्नः ॥९॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sanemy asmad yuyota didyum mā vo durmatir iha praṇaṅ naḥ ||

पद पाठ

सने॑मि। अ॒स्मत्। यु॒योत॑। दि॒द्युम्। मा। वः॒। दुः॒ऽम॒तिः। इ॒ह। प्रण॑क्। नः॒ ॥९॥

ऋग्वेद » मण्डल:7» सूक्त:56» मन्त्र:9 | अष्टक:5» अध्याय:4» वर्ग:23» मन्त्र:9 | मण्डल:7» अनुवाक:4» मन्त्र:9


बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर मनुष्य क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वानो ! (अस्मत्) हम से (सनेमि) पुराने (दिद्युम्) प्रज्वलित शस्त्र और अस्त्र समूह को (युयोत) अलग करो जिससे (इह) इस गृहाश्रम व्यवहार में (वः) तुम लोगों को और (नः) हम लोगों को (दुर्मतिः) दुष्टबुद्धि (मा) मत (प्रणक्) नष्ट करावे ॥९॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! तुम सदा दुष्टाचारी मनुष्यों से अलग रह कर और शत्रु बल को निवार के बढ़ते हुए होओ ॥९॥
बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनर्मनुष्याः किं कुर्युरित्याह ॥

अन्वय:

हे विद्वांसः ! अस्मत्सनेमि दिद्युं युयोत यत इह वो युष्मान् नोऽस्माँश्च दुर्मतिर्मा प्रणक् ॥९॥

पदार्थान्वयभाषाः - (सनेमि) पुरातनम् (अस्मत्) अस्माकं सकाशात् (युयोत) पृथक् कुरुत (दिद्युम्) प्रज्वलितं शस्त्रास्त्रम् (मा) (वः) युष्मान् (दुर्मतिः) दुष्टधीः (इह) अस्मिन् गृहाश्रमे (प्रणक्) प्रणाशयेत् (नः) अस्मान् ॥९॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्या ! यूयं सदा दुष्टचारेभ्यो मनुष्येभ्यः पृथक् स्थित्वा शत्रुबलं निवार्य वर्धमाना भवत ॥९॥
बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो! तुम्ही सदैव दुष्ट माणसांना पृथक ठेवून शत्रू बल न्यून करून उन्नती करा. ॥ ९ ॥